हूल जोहार!
भारतीय संविधान का विरोध कर कोई भी इंसान या संस्थाएं देश प्रेमी या राष्ट्र भक्त कैसे हो सकता है ? वह तो देश द्रोही या राष्ट्र द्रोही ही होगा ना? देश के अंदर रहने वाले लोगों को यदि कोई व्यक्ति या संस्थाएं बराबरी दर्जा की मान्यता नहीं देता , उनका मान सम्मान नहीं करता, महिलाओं को इज्जत नहीं करता, क्या वह राष्ट्र वादी हो सकता है ? बिलकुल भी नहीं । क्या देश के आदिवासियों का, दलितों का, वंचित समाज एवं अल्पसंख्यक लोगों का हक छिन कर देश का विकास हो सकता है ? कभी नहीं ! क्या आदिवासियों के खिलाफ सरकार ने अघोषित एक तरफा युद्ध छेड़ रखा है ? अगर नहीं तो आदिवासियों के साथ जुल्म पराकाष्ठा में क्यों है? पुलिसिया जुल्म अपनी चरम सीमा पर क्यों है ? आदिवासियों को माओवादी बता कर उन्हें जान से क्यों मारा जा रहा है ? उनका जल , जंगल , जमीन एवं उनकी सांस्कृतिक विरासत पर हमला क्यों हो रहा है ? क्या यही है देश का विकास ? क्या यही है भारतीय नागरिकों की सुरक्षा ? देश में सभी प्रकार की खनिज आदिवासियों की जमीन से निकाली जा रही है । फिर भी आदिवासी समाज विकास की सबसे निचले पायदान पर क्यों है? क्या यही है समावेशी विकास की परिभाषा ? देश के आदिवासी क्षेत्रों में स्थापित अनुसूचित क्षेत्र 5 एवं 6 को पूर्ण रुपेण लागू किया जाना चाहिए । हमें इस विषय पर गहन चिंतन करने की आवश्यकता है एवं सुधार के उपाय जल्द किए जाने चाहिए ताकि देश के लोगों पर हो रहे जुल्म , अन्याय एवं अत्याचार को रोका जा सके एवं देश के सभी लोगों को न्यायपूर्ण हिस्सेदारी दिया जा सके । जय भारत ! जय भारतीय ! जय भीम ! जय संविधान ! जय बिरसा मुंडा ! जय सीदो मुर्मु & कानहु मुर्मु ! जय तिलका मांझी ! जय आदिवासी ! जय मुलवासी ! जय देश के अल्पसंख्यक नागरिक ! जय देश के महिलाएं !
भारतीय संविधान का विरोध कर कोई भी इंसान या संस्थाएं देश प्रेमी या राष्ट्र भक्त कैसे हो सकता है ? वह तो देश द्रोही या राष्ट्र द्रोही ही होगा ना? देश के अंदर रहने वाले लोगों को यदि कोई व्यक्ति या संस्थाएं बराबरी दर्जा की मान्यता नहीं देता , उनका मान सम्मान नहीं करता, महिलाओं को इज्जत नहीं करता, क्या वह राष्ट्र वादी हो सकता है ? बिलकुल भी नहीं । क्या देश के आदिवासियों का, दलितों का, वंचित समाज एवं अल्पसंख्यक लोगों का हक छिन कर देश का विकास हो सकता है ? कभी नहीं ! क्या आदिवासियों के खिलाफ सरकार ने अघोषित एक तरफा युद्ध छेड़ रखा है ? अगर नहीं तो आदिवासियों के साथ जुल्म पराकाष्ठा में क्यों है? पुलिसिया जुल्म अपनी चरम सीमा पर क्यों है ? आदिवासियों को माओवादी बता कर उन्हें जान से क्यों मारा जा रहा है ? उनका जल , जंगल , जमीन एवं उनकी सांस्कृतिक विरासत पर हमला क्यों हो रहा है ? क्या यही है देश का विकास ? क्या यही है भारतीय नागरिकों की सुरक्षा ? देश में सभी प्रकार की खनिज आदिवासियों की जमीन से निकाली जा रही है । फिर भी आदिवासी समाज विकास की सबसे निचले पायदान पर क्यों है? क्या यही है समावेशी विकास की परिभाषा ? देश के आदिवासी क्षेत्रों में स्थापित अनुसूचित क्षेत्र 5 एवं 6 को पूर्ण रुपेण लागू किया जाना चाहिए । हमें इस विषय पर गहन चिंतन करने की आवश्यकता है एवं सुधार के उपाय जल्द किए जाने चाहिए ताकि देश के लोगों पर हो रहे जुल्म , अन्याय एवं अत्याचार को रोका जा सके एवं देश के सभी लोगों को न्यायपूर्ण हिस्सेदारी दिया जा सके । जय भारत ! जय भारतीय ! जय भीम ! जय संविधान ! जय बिरसा मुंडा ! जय सीदो मुर्मु & कानहु मुर्मु ! जय तिलका मांझी ! जय आदिवासी ! जय मुलवासी ! जय देश के अल्पसंख्यक नागरिक ! जय देश के महिलाएं !
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